ओल्ड पेंशन फाइनल अप्रूवल : हमारे देश में नौकरी के दौरान कर्मचारी के वेतन में से कुच अंश पैसा काटा जाता हे जो निवृत्ति होने पर उसे पेंशन के रूप में हर महिने मिलता रहता है। जो उसे निवृत्ति के बाद आत्मसम्मान के साथ जिवन जिने मे काम आता है। किसेके आगे हाथ नहि लंबाना पडता इसी लिए तो पेंशनको लोग बुढ़ापे कि लाठी कहते है। जो हमारे देश मे केंद्र सरकार द्वारा EPFO के द्वारा कर्मचारी पेंशन फंड का संचालन किया जा रहा है।
पेंशन योजना को लेकर वर्तमान में सरकार ने कई नए नियम लागू किए हैं। उनको लेकर के काफी सारे लोगों के मन में सवाल चल रहा है। या फिर कहीं काफी सारे सवाल पूछे जा रहे हैं।
वर्तमान समय में सरकारी कर्मचारी भी चाहते हैं कि पुराने पेंशन योजना को लागू किया जाए। लेकिन पुराने पेंशन योजना को लेकर के सरकारी कर्मचारियों को भी काफी सारी उम्मीद थी कि केंद्रीय बजट में इस बारे में कोई ना कोई घोषणा की जाएगी।
लेकिन हमारे देश के वित्तमंत्री निर्मला सीताराम ने केंद्रीय बजट में ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर किसी भी प्रकार का कोई जिक्र नहीं किया और सिर्फ नेशनल पेंशन सिस्टम में सुधार को लेकर बात किया गया था। जिसके चलते सभी कर्मचारी काफी उदास से है। लेकिन अभी के समय में सुप्रीम कोर्ट का फैसला जारी हुआ है कि, जिसको अंतिम मंजूरी बताया जा रहा है।
आप सभी की जानकारी के लिए बता दे कि वर्तमानमे सदन में हर दिन पुरानी पेंशन को लेकर चर्चा होती जा रही है। ऐसे में सोमवार 22 जुलाई 2024 की बजट सत्र में ऐसा जानकारी बहरा आयी की कांग्रेस के लोकसभा सांसद पंडित सुशील कुमार शिंदे ने इस दौरान सरकार ने कुछ सवाल पूछे इन सवालों में सोलापुर के कांग्रेस के लोकसभा सांसद ने पूछा की पुरानी पेंशन योजना को लेकर सरकार किसी निर्णय पर पहुंची है? कैसे पेंशन योजना लागू किया जा रहा है? या फिर नहीं? इसके अलावा उन्होंने पूछा कि, 2023 के असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को दी जा रही पेंशन का रजवाड़ा डाटा उपलब्ध करवाया जाएगा या नहीं करवाया जाएगा? इन सभी सवालों का जवाब भी राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लिखित रूप में दिए हुए हैं।
आप सभी की जानकारी के लिए बता दे की सरकारी कर्मचारी संगठनों का पूछा गया सवाल का सरकार ने जवाब देते हुए कहा कि सरकार या भूल नहि जाती है कि देश की आर्थिक संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसे में विभिन्न उत्पादक एवं सेवाएं बनते हैं।
जिन पर सरकारी जीएसटी वसूली होती है। वह ऐसे में सरकारी कर्मचारी न केवल राज्यों का मुख्य स्रोत है। बल्कि अभी अपनी जरूरत का सामान भी बाजार से ही खरीद करते है। जिस पर उन्हें जीएसटी देनी पड़ती है। इसके बावजूद के अंदर यह ट्रेड यूनियन द्वारा दिए गए प्रस्ताव को वित्त मंत्री निर्मला सीताराम में ठंडाकर दिया है। जिसके चलते सरकारी कर्मचारियों को काफी उम्मीद है।
लेकिन अभी के समय में बजट में भी उनकी पेंशन वाले अन्य मुद्दों पर किसी भी प्रकार का कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। लेकिन ऐसा नहीं है कि भविष्य में भी ध्यान नहीं दिया जाएगा। अनेक मुद्दों को ध्यान में रखते हुए उनकी अर्जी पर काम किया जाएगा।